एक बार युधिष्ठिर और सब पाण्डव कहीं बैठे थे।

तभी कौरव आकर झगड़ा करने लगे और बहुत गालियां दी, परंतु युधिष्ठिर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

तब कौरवो ने कहा”, क्या तुम नपुंसक हो? हमने इतनी गालीयां दी और तुम कुछ भी नहीं बोले।”

तब युधिष्ठिर बोले “,ददतु ददतु गाली गालीमन्तो भवंत:। हे भाइयों ! खूब गाली दीजिये क्योंकि आप गाली के विषय में संपन्न हो। जिसके पास जो होगा , वो वहीं देगा।विद्वान विद्यां देता है, धनवान् धन देता है और गालीवान गाली देता है। हम् लोग तो गाली के विषय में दरिद्र ठहरे, तो कहा से गाली दे!”

देखीये युधिष्ठिर  मन  धर्म कि कितनी गहराई में  है। उनको गाली  ग्रहित हि नहीं  हो रही है।

सारांश :- धर्म आपको एक अगाध धैर्य कि ओर ले जाता है। मृत्यु के समय विजय उसी व्यक्ति कि होती है जिसमें धर्म प्रतिष्ठित है क्यूँकि धर्म कि यह प्रतिज्ञा है तुम मुझे धारण करो , मृत्यु के समय मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। और जगत कि यह प्रतिज्ञा है कि तुम चाहे मेरे लिए झूठ बोलो, चोरी करो या अन्य कुछ भी करो, मृत्यु के समय आपके साथ मैं नहीं रहने वाला हूँ। 

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P.S. :- धर्मो रक्षति रक्षित:

Those who protect the Dharm are protected by the Dharm.