जय श्री हरि, परिवार!
अभी हाल ही में एक travel series देख रही थी। हमारे प्यारे श्री हरि का जब पूर्ण पुरुषोत्तम परब्रह्म कृष्ण के रूप में अवतार हुआ था तब उनका बचपन जिस नन्दगाँव में बीता उसी नन्दगाँव की आज के समय में यात्रा को दिखाया गया था। और नंदगाँव में भी particular जिस जगह को दिखाया जा रहा था वह था यशोदा महल यानी जहाँ यशोदा मईया अपने दुलारे के साथ और दुलारे के बड़-दाऊ, बलराम, के साथ रहती थीं। उनकी रसोई, शयनकक्ष, जन्म-दरबार आदि काफी कुछ था वहाँ।
सत्य कहूँ तो, मुझे नहीं पता इन बातों में कितनी सच्चाई है ना ही मुझे सच जानने की तलब रही है पौराणिक मामलो में, खासकर जो आस्था से जुड़े हुए हों। मेरी महामाई की यह दुनिया जितनी अद्भुत है उतनी ही अद्भुत है इस दुनिया में बसने वाली हर चीज़! किंवदंतियों में सच और कल्पना के बीच की महीन रेखा लगभग धूसर-सी हो जाती है।
England में एक प्रसिद्ध कवि हुए, Samuel Taylor Coleridge. उनका मानना था कि कभी-कभी जानबूझकर अपनी बुद्धि को परे रख बस कल्पनाओं को वास्तविकता बनते देख लेना चाहिए। Willing Suspension of Disbelief. मैंने यह Philosophy अपने graduation के दिनों में पढ़ी थीं।
वैसे तो Coleridge ने यह बात Literary Works के लिए कहा था। पर एक बड़ी प्यारी बात यह है कि हम अगर इसका प्रयोग ज़्यादा से ज़्यादा अपनी ज़िन्दगी में करें तो धीरे-धीरे यह जो होशियार बनता है ना, ये जो प्रचंड बांदरीय हरकतें करता है, ये judgemental दिमाग सो जाएगा। हम चीज़ों को बस वैसे ही देखने लगेंगे जैसी वह हैं! क्या यही हर ध्यान, हर साधना का लक्ष्य नहीं?
बहरहाल यशोदा मईया के महल में थीं तो काफी चीज़ें पर मेरी नज़र जिस चीज़ पर टिक गयी वो था ‘हाऊ’। ‘हाऊ’ जानते हैं? जब भगवान् मईया की नहीं सुनते थे और खेलने के लिए भगते थे घर से बाहर तो मईया उन्हें यह दिखाकर डराती थीं। ‘हाऊ’ की photo देखेंगे?
देसी माँ लोगो की तरह भगवान् को डराते हुए फुल Madhuri Dixit mode में माँ बोलीं-
मईया : दूर खेलन मत जाए, लल्ला, अज बन ‘हाऊ’ आये!
अब साक्षात नारायण को कौन हराये एक्टिंग में! छलिया ❤️❤️ भयंकर चकित होकर भगवान् बोलें-
बाल गोपाल : राम रूप धरि राबन मारेउँ पर कभहु न देखें ‘हाऊ’। आज तो ‘हाऊ’ ही देखने जायेंगे!
कि राम का रूप लेकर पूरा का पूरा रावण मार दिए; कितने तो और राक्षस निपटा आयें; पर यह ‘हाऊ’ ना दिखा आज तक!
This got me into thinking! Don’t we all have our own personal ‘हाऊ’, a hidden fear or a passion, that drives us towards the action that we need the most in our lives?
For me, my ‘हाऊ’ is my Guru living His mortal coil before I have removed the sheaths of ignorance and discovered my true and pure Self. Even a mere thought of staying back ‘unattended’ ‘unloved’ ‘uncared for’ after He has left gives me creeps inside my very bones! Gurudev, you have spoilt this teeny-tiny Sniggy with all the love and care 😒😒
जब-जब मुझे जम के गुस्सा आता है और मेरा मन कहता है,
मन: भेजा नहीं सरकाओ! दो-चार बोल गरियाओ! अरे, एक-आध बार चलता है। हम स्वामी थोड़ी हो गए हैं कि 24×7 प्यार ही बाटेंगे! खोलो मुँह! लगाओ एक-आध धर के गाल पर सामने वाले के! कल से दुबारा साधू बनने की कोशिश किया जाएगा। एक दिन से कुछ नहीं होता! चिल्लाओ, बंदरिया!
तभी बीच में मेरा हाऊ, ‘तुम रक्षक काहू को डरना’ को literally लेते हुए, कूद के आता एकदम हनुमान जी की तरह,
हाऊ: अरे ए! पगलाना नहीं। अभी अगर स्वामीजी ‘टाटा’ बोल दिए ना अपने ‘कंगारू’ accent में तो जनम-जनम गुस्सा ही करते रह जाओगी, लल्ली! तुम्हारे कर्म छी-छी ऊपर से मंद बुद्धि की धनी औरत! जितनी जल्दी हो सके उद्धार करवा लो। बाबाजी का कोई भरोसा नहीं कब मुंडी ठनक जाए और वह मणिद्वीप भाग जाए। शिवो भूत्वा शिवम् यजेत! स्वयं शिव हुए बिना शिव की पूजा, साधना, प्राप्ति और शिव में विलीन होना असंभव है, औरत। आज! अभी। इस वक़्त। पहली फुरसत में। स्वामी बनो!
स्वामी भव! स्वामी भव! स्वामी भव!
और मेरा हाऊ जीत जाता है। मेरा मुँह उसकी बात मानकर चिल्लाने का विचार छोड़ देता है।
Thus, my ‘हाऊ’ saves me from the eternal damnation in form of separation from Guru’s subtle energy.
आपका भी कोई personal ‘हाऊ’ होगा ना? अगर सही समझें तो comment में शेयर करियेगा।
Hanuman जी का Happy Birthday सबको मुबारक हो! प्रभु सबके मुंडी पर अपनी पुछ्छी घुमा दें ताकि हम सबको भी नारायण और महामाई की पराभक्ति और सेवा प्राप्त हो!
जय-जय महामाई-नारायण!❤️❤️
जय-जय हाऊ सरकार! 😉😉
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