Paneer Do Pyaza, Mushroom Do Pyaza… these are all dishes I’m sure you’ve heard of. But here’s a recipe that might surprise you…

Using the various ingredients that life has to offer,

cooked and prepared with unique spices freshly picked from the garden of life,

with wisdom squeezed from the experience gathered over time,

and finally, simmered slowly for the perfect consistency…

I present to you… 

Zindagi Do Pyaza | ज़िंदगी दो-प्याज़ा

Written By Saurabh Dixit (Jan. 28, 2021)

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पल पल गुज़रती, 
जा रही है उम्र
बचा है बचपन,
कहीं आधा-आधा

ज़िन्दगी है साहब, ज़िन्दगी
ज़िन्दगी दो-प्याज़ा

हसरतों की राह में
दूर तलक, बिखरें हैं ख़्वाब
मग़र कहीं सिमटा सा है
पुराना, एक छोटा-सा-वादा

ज़िन्दगी है साहब, ज़िन्दगी
ज़िन्दगी दो-प्याज़ा

आसमाँ पे देखी है फ़ितरत
बदलती बदलती मैंने
वो चाँद कभी गुम,
कभी पूरा और कभी आधा
ज़िन्दगी है साहब, ज़िन्दगी

ज़िन्दगी दो-प्याज़ा
बहुत घूम के लौटे हैं
वापिस घर, अभी-अभी
तसल्ली से आज खाएँगे
खाना सादा-सादा

ज़िन्दगी है साहब ज़िन्दगी
ज़िन्दगी दो प्याज़ा ...

Let me know how you like the taste and share if you can see it mapped to your experience  ;)