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परिवर्तन

परिवर्तन, जीवन का एक स्थिर सत्य है--तांडव ऋंखला का २५वाँ प्रकरण

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“मैं हुँ ना!”

"चिंता मत करो, मैं हुँ ना।" गुरु के यह दिव्य शब्द बड़ी से बड़ी...

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आज्ञा और सेवा

गुरु की आज्ञा और सेवा परम सौभाग्य से प्राप्त होती है — तांडव ऋंखला...

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आतिथ्य

किसी अपरिचित को आतिथ्य प्रदान करना मानवता का एक विशिष्ट गुण होता हैं- तांडव...

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पूजा में प्रेम

पूजा में मंत्रों से अधिक, आराध्य के लिये प्रेम होना चाहिए !

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भक्ति का रंग

कैसा भी हो, चढ़ता ही है--तांडव ऋंखला का २०वाँ प्रकरण

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भावनाओं में परिवर्तन

भावनाओं में क्षण भर का परिवर्तन भी मन की दिशा बदल देता है —...

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सरलता

भक्ति का एक नाम सरलता भी है--तांडव ऋंखला का १८वाँ प्रकरण

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वरदान

कभी कभी ईश्वर भी बिना तपस्या के वरदान देते है--तांडव ऋंखला का १७वाँ प्रकरण

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भावनायों की अभिव्यक्ति

क्या वास्तव में भावनायों की अभिव्यक्ति से सम्बंध सुदृढ़ होते है?-तांडव ऋंखला का १६वाँ...

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निपुण अध्यक्षता

निपुण अध्यक्षता ही एक सभा को एक भव्य समारोह में बदल सकती है।

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निःस्वार्थ सेवा

निःस्वार्थ सेवा से ईश्वर आपको स्वयं का स्वरूप देने के लिये बाध्य हो जाते...

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उत्सव

संघर्ष के बाद जीवन में उत्सव के भी पल आते है-तांडव ऋंखला का १३वाँ...

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अकारण तनाव

अकारण तनाव की अग्नि आनंद को भस्म कर देती है--तांडव ऋंखला का १२वाँ प्रकरण

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अकारण प्रसन्नता

अकारण प्रसन्नता ईश्वर का आशीर्वाद होती है---तांडव ऋंखला का ११वाँ प्रकरण