नमस्कार आप सभी को मेरा प्रणाम।
मनुष्य का मस्तिष्क कितना सचेत होता है कि वह अचेतन अवस्था में भी जो दिन में स्मरण करते हैं देखते है वही हमें सपनों के माध्यम से दिखाता है। ऐसा ही कुछ हुआ कुछ दिनों पहले। हमारे ही os.me परिवार पर एक पोस्ट डाली गई थी जिसमें पूछा गया था कि आप अपनी पसंदीदा चलचित्र(movie) का नाम बताएं। तो एक हैरी पॉटर सीरीज जो हमने अपने बचपन से देखी है उसका नाम बता दिया। हैरी पॉटर सीरीज एक मनोरंजन का अच्छा साधन है जिससे हमें सीखने को भी काफी कुछ मिलता है और सीख के साथ मनोरंजन हो जाए तो और क्या चाहिए। लाइफ सेट।
तो ऐसा हमारे मन में विचार नहीं था कि कौन सा पार्ट हमने जैसे व्यक्ति स्मरण करता है हैरी पॉटर का नाम याद आया तो उसके सारे सातों भागों को याद किया और उनमें जो जो हुआ वह याद किया वह हमने कुछ याद नहीं किया था लेकिन हमारे मस्तिष्क में जो बातें चलती रहती हैं जो हमने देखा है सुना है वह कहीं ना कहीं एकत्रित हो जाता है जो हमें कभी ना कभी सपनों के माध्यम से दिखता है। इसका अर्थ यह नहीं कि आपका हर स्वप्न आपके मस्तिष्क की कल्पना ही हो, कई बार भविष्य में होने वाली घटनाएं भी आपको सपनों के माध्यम से दिख जाती हैं। जो व्यक्ति साधना मार्ग पर चल रहा है उनको यह अनुभव होते ही होंगे, यह मेरा अपना मानना है। स्वप्न हो या ध्यान में कुछ दिख ही जाता है, खैर जिस विषय पर लिखना है वह विषय थोड़ा अलग है हम अपने विषय पर वापस आते हैं।
तो जैसे कि मैंने हैरी पॉटर का नाम वहां पर लिखा था तो मैं रात को जैसे ही सोया अब समय तो हमें याद नहीं लेकिन हां जब हम उस सपने से उठे तो सुबह के 3:58 हो रहे थे तो हमने जो देखा हम वही बता रहे हैं:
तो कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है, नर भेड़िया, यानी आधा नर आधा भेड़िया,l। अनेक काल्पनिक चलचित्र, किताबों, कहानियों, में हमने सुना होगा कि किसी मनुष्य को भेड़िया काट ले तो वह नर भेड़िया बन जाता है और वह पूर्णिमा की रात को अपना स्वरूप बदलता है। ऐसा ही हैरी पॉटर के तीसरे भाग में भी होता है। ऐसा ही हमारी कहानी में भी नर भेड़िया है।
यह कहानी है भारतीय नर भेड़िए और लंदन के नर भेड़िए की। मैं देखता हूं कि मैं एक सुंदर से घर में हूं वहां पर मेरे प्रोफेसर हैं मेरे पिता है मेरी माता है मेरे अंकल है आंटी हैं और उनकी बेटी है। तो मेरे अंकल हिंदुस्तानी नर भेड़िए है और मेरे प्रोफेसर लंदन के नर भेड़िए हैं। तो दोनों में यह बात हो रही थी हम दोनों ही नर भेड़िए हैं और आज पूर्णिमा की रात है तो हम दोनों के लिए बहुत भारी रात है क्योंकि उस समय हम अपना आपा भूल जाएंगे और अपनों में परायों में कोई फर्क नहीं होगा। हम तो रक्त के प्यासे भेड़िए जिसको भी देखेंगे उसका अंत कर डालेंगे।
तो लंदन वाले नर भेड़िए ने कहा कि हिंदुस्तानी नर भेड़िया खतरनाक होगा। आपने देखा होगा कि अक्सर हिंदुस्तानियों के बालों की उपज जो है वह अधिक होती है अन्य विदेशियों के मुकाबले, तो शायद इसलिए जो हिंदुस्तानी नर भेड़िया है वह अधिक खूंखार है। ऐसा उन लंदनवाले नर भेड़िए का मानना है।
तो फिर हम अभी बातचीत कर रहे थे हमारे अंकल भी हमारे प्रोफेसर भी तभी हमारे अंकल को चंद्रमा दिख गए पूर्णिमा के और उनका अपने ऊपर नियंत्रण ना रहा वह अपना आपा खो बैठे और वे नर भेड़िए के स्वरूप में आ गए। इससे सभी डर गए हम सब एक कमरे में बंद हो गए। मेरी आंटी ने हम सब को बंद कर दिया कहा कि यह रात बहुत डरावनी होने वाली है, वैसे ही मेरे अंकल चिल्लाते हुए बाहर चले गए और अपने नर भेड़िए स्वरूप में आ गए और नर भेड़िया यानी खूंखार जीव जिसको भी देखें उसी को मार डाले। इतने में ही मेरे प्रोफेसर भी नर भेड़िया बन गए। उस समय ऐसा माहौल था कि एक आंधी जैसे ह्रदय की दीवारों को तोड़ने के लिए अपने उफान पर थी। हम सब डरे हुए थे। मैं मेरे माता-पिता मेरी आंटी और उनकी एक पुत्री। मेरे अंकल आंटी के पुत्री है तो सब डरे हुए हैं उसे ले कर। किसी को नहीं पता यह खौफनाक अंधेरी रात कब खत्म होगी नहीं जानते कि रात का अंत होगा या इस रात का अंत होते-होते हमारा अंत होगा। यह गुत्थी सुलझने का नाम ना ले।
इतने में ही दरवाजा टूट गया। हमारे प्रोफेसर जो नर भेड़िया बन चुके थे मेरे अंकल की बेटी को उठाकर बाहर ले गए और वहीं पर मेरे अंकल भी थे। हमने सोचा कि शायद अपनी पुत्री के लिए उनका वात्सल्य प्रेम जाग जाए कि यह मेरी पुत्री है। लेकिन नहीं नर भेड़िए थे वह उनका प्रेम ना जागा। हम सब चिल्ला रहे हैं रो रहे हैं बेबस हैं। वह उनके हाथों में हैं हमें कुछ नहीं पता कि क्या होगा, हम क्या करें, हम रो रहे हैं, चिल्ला रहे हैं। हमारी सहायता के लिए वहां कोई ना था।
अचानक एक रोशनी हुई, रोशनी उस लड़की के शरीर से आ रही थी। उसकी देह स्वर्ण की तरह चमक रही थी उसने कहा शांत हो जाओ और जैसे ही उसने यह कहा वह दोनों नर भेड़िए शांत हो गए। जिस नर भेड़िए ने उसे पकड़ा था, हाथों से छोड़ दिया लेकिन वो जमीन पर ना गिरी। मानो वह गुरुत्वाकर्षण से भी परे थी, गुरुत्वाकर्षण का उस पर कोई प्रभाव नहीं था। वह सबसे परे थी, ना आकाश में ना ही धरती में थी। लेकिन आकाश और धरती में सम्यक रूप से थी।
इसी बीच अपने हाथों को उसने उठाया और उसका तेज और बढ़ा। उस अंधेरी रात में पूर्णिमा के चंद्रमा से भी अधिक तेज उसकी देह में था।
उसने कहा मैं ही इस सृष्टि को चला रही हूं। मैं ही शांति हूं। मैं ही इन नर भेड़ियों को भी नियंत्रित कर रही हूं, यह मेरे नियंत्रण में है। तुम भी मेरे नियंत्रण में हो। लेकिन मैं किसी के नियंत्रण में नहीं। मैं तुम सब में हूं लेकिन तुम सब से परे हूं।
सिर्फ इतना कहा और मेरा स्वप्न टूट गया। यह कल्पना थी या क्या था मुझे नहीं पता। लेकिन जो मैंने देखा वही आपको बता दिया यह मेरे मस्तिष्क की कल्पना है संभवतः लेकिन जब मैं स्वप्न से जगा तो काफी डरा हुआ था और सुकून भी था। दोनों इकट्ठे थे। एक ओर डर था और एक ओर सुकून शांति। जो भी था बहुत अच्छा था।
बस इतना ही।
।।प्रणाम।।
Pic Credits: harrypotter.fandom.com
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