*तकनीकी खण्ड*
“महाभारत संग्रहालय के तकनीकी खण्ड में आपका स्वागत हैं। इस जगह महाभारत काल में प्रयोग में आने वाली वस्तुओं को रखा गया हैं।”
अच्छा! मगर ये तो महाभारत काल से विपरित हैं, मतलब जैसा महाभारत के चलचित्रो में दर्शाया गया था।😅 सब वस्तु मेरी पहचान से भिन्न हैं। मगर हां, कुछ वस्तु तो में पहचान पा रहा हूं। जैसे की ( मन की गति से खण्ड में गमन करते हुए) ये! ये वाशिंग मशीन है ना!
“हा परंतु ये मशीन उस काल में भी प्राचीन काल की वस्तु के रुप में प्रयोग होती थी। मतलब ये महाभारत काल के लोगो के लिए सजावटी एंटीक वस्तु हैं।”
अच्छा, तो ये संग्रहालय में उस समय के संग्रहालय की वस्तु है। 😅
“जी हां, इधर देखिए इसे आप पहचान पाएंगे,ये है खाद्य वस्तु को अनंत भार में परिवर्तन करके,उसकी मात्रा को कभी ना खतम होने वाली मात्रा में परिवर्तन करने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाला यंत्र। इसका नाम अक्ष्यपात्र हैं।”
हा इसको मैंने देखा है। मतलब चलचित्र मैं ,परंतु ये उसमें एक मटके के रुप में था, पर यहां तो ये किसी विचित्र वस्तु से निर्मित एक छोटी सी मशीन जैसा प्रतीत हो रहा है।
“मटका, हां कह सकते है इसे। मगर सत्य तो ये है कि हम वस्तुओ की तुलना करने के लिए अपने पास उपलुब्ध किसी वस्तु की तुलना कर अज्ञात वस्तु को एक संज्ञा देते है। जो मात्र एक संज्ञा के अलावा कुछ नहीं।”
हां, ये मशीन भी नहीं लगता ,😅 कुछ विचित्र ही पात्र हैं। इस बात से एक प्रश्र पूछ सकता हूं?
“जी, बिलकुल”
आपके काल में भी हिंदी का प्रयोग होता है?
“नहीं, इसका सीधा स्पष्ट उत्तर तो संभव नहीं। आपके मन के अंदर से हमारी तकनिकी द्वारा जिस अर्थ को आप तक भेजना है उसका शब्दार्थ आपके मन से निर्मित हो रहा है। आसान भाषा में, मेरी भाषा शैली आपकी भाषा शैली का दर्पण मात्र है।”
अच्छा इसलिए आपको भी नही पता गाईड को हिंदी में क्या कहते है।😅
“हां। मगर आपके जो भाव में गाईड का कार्य हैं, उसे ही मैं कर रहा हूं।”
जी हा, धन्यवाद। महाभारत काल में बिजली थी मतलब विद्युत ऊर्जा।
“हां, मगर आपके काल से अलग रुप में! वहा ऊर्जा के भिन्न भिन्न रूपो के यंत्रों में प्रायोग होता था। विद्युत, सौर, वेग, ऊष्मा, तरंग, ध्वनि आदि। आपके काल की तकनिकी के विपरित, महाभारत काल में यंत्र स्वत इन भिन्न भिन्न ऊर्जा को आदि ऊर्जा स्त्रोत से निर्मित करते थे, इससे ऊर्जा के परिवर्तन से ऊर्जा का खराब होना असंभव होता है ,और प्रयोग के उपरांत ऊर्जा में कोई परिवर्तन नही होता।”
क्या आदि ऊर्जा ? उस समय ऊर्जा पूर्ण रुप से प्रयोग मैं लाई जाती थी। मतलब कोई प्रदूषण नही?
“जी हां, कोई प्रदूषण नहीं।”
हमारे समय मैं अनु ने ऊर्जा लेकर पानी उबालते हैं, जिसके प्रयोग से विद्युत ऊर्जा बनाई जाती है, और उससे भिन्न भिन्न रुप की ऊर्जा को अलग उपकरणों से निर्मित करा जाता हैं।
“हां ये काफी निचली स्तरीय उर्जा निर्माण शैली हैं। जिसका कलि काल में होना उसके स्तर को दर्शाता हैं।”
अच्छा 😅। मतलब में भी निचले स्तर पर…
“आगे बढ़िए।”
.
.
.
.
Comments & Discussion
2 COMMENTS
Please login to read members' comments and participate in the discussion.