गाईड जी आगे नही जाना मुझे! मुझे सिर्फ आपसे एक विनती करनी है।
“विनती कैसी, आप बताए क्या पूछना है।”
मुझे महाभारत में सिर्फ भगवान श्री कृष्ण ही पसंद है। मैंने हमारे काल के महाभारत रूपांतर का सिर्फ वही भाग देखा है जहा से भगवान श्री कृष्ण आते हैं। कृपया कर मुझे भगवान श्री कृष्ण खण्ड में ले चले।
“अच्छा कृष्ण उनका तो किसी खण्ड में बताया जाना संभव नही, यहां कृष्ण खण्ड ऐसा कुछ नहीं।”
क्या कुछ नहीं। कुछ उनकी तस्वीर तो दिखा दीजिए उनका चरित्र ही वर्णन करदीजिए। उनके रुप की बातें मैंने बहुत सुनी है कृपया करे!
“क्षमा करें पर उनकी कोई तस्वीर नहीं हैं। उनका वर्णन तो भाती भाती प्रकार से किया जा सकता हैं। कुछ लोग उन्हें स्वयं परभरम कहते हैं, तो कुछ अपमानित करना का कोई पल भी नहीं त्यागते हैं ।”
मगर गाईड जी ये तो लोग तुलना ही कर रहे हैं जैसा आप कह रहे थे। सूर्य को दिया दिखाने वाले बात है, उनको हम कैसे समझ सकते है?वो तो समझ से परे हैं ना गाईड जी!
“आप अपने सवाल हमारे उच्चाधिकारी से करें, उनकी जानकारी हमारे पास नहीं हैं।”
ठीक हैं मुझे मिलाए उन उच्चाधिकारी से!
“आंख बंद करे! गहरी सांस ले!”
*बंद आंखों से रोशनी के गोले का आभास होना*
“आंख खोले और सवाल करें।”
*अंधकार चारो ओर सिर्फ एक रोशनी का पुंज*
(खुद ही अंदर से दंडवत होने की इच्छा के कारण दंडवत करते हुए।)
मुझे भगवान श्री कृष्ण के असली रुप को देखना है जो उनका महाभारत काल के दौरान था। कोई उनकी तस्वीर, मुझे उनका वास्तविक रुप देखने की बहुत इच्छा हो रही हैं।
*एक हाथ का माथे को छूना और तीव्र पिछली रीड में दर्द होना।*
“आंखे खोलो ये श्री कृष्ण की तस्वीर हैं।”
ये मगर गाईड जी, ये तस्वीर तो मेरे कक्षा के छात्र की हैं!
“अच्छा तो फिर पीछे मुडू।”
(कृष्ण स्वरूप देखते हुए और मन में सोचते हुए)
गाईड आप ही प्रभु हूं। प्रभु ऐसे दिखते थे आप महाभारत काल में। एक दम साधारण रुप है प्रभु, मगर हृदय बोल उठ रहा है यह ही मेरे कृष्ण है। में जानता हूं इन्हे। आप तो सबके ही गाईड हैं प्रभु पर ऐसी कृपा इस के भी गाइड आप ही हैं। इसलिए उस काल में आपको चंद लोग ही पहचान पाए होंगे प्रभु एक दम साधारण रुप। सावला रंग और आपके चेहरे पर ये दाग कैसा? दोनो आंखों के नीचे? मानो ऐसा लगता हो की कोई एलर्जी हो। मगर प्रभु दोनो आंखों के नीचे ये एक समान बने निशान ऐसे लग रहे हैं जैसे किसी ने आपका सौंदर्यकरण करा हो। लंबे केश ज्यादा भी लंबे नहीं हैं मगर लंबे हैं। प्रभु आपके वस्त्र? ऐसे वस्त्र में पहली बार देख रह हूं। अकथनीय ! मगर साधारण आभा दे रहे हैं। बिलकुल साधारण दिखना आपका ही कोई तरीका होगा जिससे आपके रुप से कोई समझे ना कि आप स्वयं ही ईश्वर है। चरण ! प्रभु पूरा चर अचर जगत के स्मरण में दुर्लभ ही आने वाले ये चरण कमल मेरे सामने हैं। इतनी कृपा प्रभु?
*चरण में दंडवत पड़े पड़े*
*अचानक से आंखों का खुलना और ज्ञात होना सब एक स्वप्न था*
क्या सब सपना था! ये भी सपना ना हो प्रभु!!!
*परिशिष्ट भाग
यह पद लेखक की कल्पना पर आधारित है। इससे किसी व्यक्ति विशेष जाति अथवा धर्म का कोई संबंध नही है।
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